राजस्थान अक्टूबर कर्रेंट अफेयर्स

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम का गठन, 5 करोड़ लोगों के बनेंगे हेल्थ कार्ड



मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। प्रमुख तौर पर जिन प्रस्तावों पर कैबिनेट ने मुहर लगाईं है उनमे बिजली क्रय-विक्रय के लिए ऊर्जा निगम का गठन, आरोग्य राजस्थान अभियान शुरू करने और सेवा नियमों में संशोधन करने सहित कई प्रस्ताव शामिल रहे। बिजली क्रय-विक्रय के लिए ऊर्जा निगम का गठन सरकार ने राज्य में आवश्यकता के अनुरूप लघु, मध्यम और दीर्घकालीन आधार पर सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्धत कराने की दिशा में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का गठन करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है। नई कम्पनी के गठन का मुख्य उद्देश्य विद्युत के शॉर्ट और लॉन्ग टर्म क्रय संबंधी कार्य के साथ ही वितरण निगमों के नियामक संबंधी कार्य, विद्युत उत्पादन, प्रसारण और वितरण निगमों में समन्वय स्थापित करना है।

 प्रस्तावित कम्पनी की स्थापना 5 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ राजस्थान सरकार द्वारा की जायेगी। 

ये कम्पनी पूर्णत: सरकारी होगी। इस कम्पनी की अंश पूंजी 500 करोड़ रुपये होगी जो 100 रुपये प्रति शेयर की दर से एकत्रित की जायेगी। प्रदेश की

प्रशन : इस कम्पनी की अंश पूंजी कितनी होगी ?
उत्तर : (a)  500 cr.
         (b) 100 cr
         (c)  1000 cr
          (d) 1500 cr
Ans : (a)    500 cr.

सुप्रीम कोर्ट ने जैन समुदाय की संथारा प्रथा को जारी रखने की अनुमति दी, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक



सुप्रीम कोर्ट ने जैनों के धार्मिक रिवाज 'संथारा' (मृत्यु तक उपवास) को अवैध बताने वाले राजस्‍थान हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय ने इस प्रथा को आत्‍महत्‍या जैसा बताते हुए उसे भारतीय दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताया था। दिगंबर जैन परिषद ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
 
दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने ने कहा था कि संथारा या मृत्यु पर्यंत उपवास जैन धर्म का आवश्यक अंग नहीं है। इसे मानवीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।

वकील निखिल सोनी ने वर्ष 2006 में ‘संथारा’ की वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका दायर करने वाले के वकील ने ‘संथारा’, जो कि अन्न जल त्याग कर मृत्यु पर्यंत उपवास है, को जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया था।

जैन समाज में यह पुरानी प्रथा है कि जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो खुद को कमरे में बंद कर खाना-पीना त्याग देता है। जैन शास्त्रों में इस तरह की मृत्यु को संथारा कहा जाता है। इसे जीवन की अंतिम साधना भी माना जाता है, जिसके आधार पर व्यक्ति मृत्यु को पास देखकर सबकुछ त्याग देता है।
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भारत में इच्छा-मृत्यु के कई उदाहरण हैं – महाभारत के दौरान महान योद्धा भीष्म पितामह को इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। वे शर-शैया पर तब तक लेटे रहे. जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हो गया।
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सीता जी ने धरती की दरार में कूदकर अपनी जान दे दी थी, श्री राम और लक्ष्मण जी ने सरयू नदी में जलसमाधि ली थी, स्वामी विवेकानन्द ने स्वेच्छा से योगसमाधि की विधि से प्राण त्यागे थे। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने भी अपनी मृत्यु की तारीख और समय कई वर्ष पूर्व ही निश्चित कर लिया था।
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आचार्य विनोबा भावे ने अपने अंतिम दिनों में इच्छा-मृत्यु का वरण किया जब उन्होंने स्वयं पानी लेने तक का त्याग कर दिया था। इंदिरा गांधी उन्हें देखने के लिए गईं थीं। तब वहां मौजूद पत्रकारों की यह मांग ठुकरा दी गई थी कि भावे जी को अस्पताल में दाख़िला किया जाए.
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जैन मुनियों और जैन धर्मावलंबियों में संथारा की प्रथा भी इच्छा मृत्यु का ही एक प्रकार है। जो बरसों से प्रचलित है। हाल ही मे जयपुर की महिला विमला देवी जी के संथारे लेने पर समाज में इस पर लंबी बहस खिंची थी।

प्रशन : संथारा प्रथा का सम्बन्ध है ?
उत्तर : (a)  जैन समाज से
         (b) बोद्ध समाज से 
         (c)  सिक्ख समाज से
          (d) इसाई समाज से 
Ans : (a)  जैन समाज से
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डॉ. ललित.के. पवार आरपीएससी के नए अध्यक्ष नियुक्त

रिटायर्ड आईएएस ललित के पवार को सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
 कार्मिक विभाग ने नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं।

जानिए नए आरपीएससी चेयरमेन के बारे में
ललित के पवार आईएएस रहे है और 31 जुलाई को ही रिटायर्ड हुए हैं। पवार आईएएस रहते हुए कई अहम पदों पर रहे हैं। पिछले भाजपा राज में पवार जेडीसी रहे। वे लंबे समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर थे और प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए ही 31 जुलाई को रिटायर्ड हुए। पवार आईटीडीसी के अध्यक्ष रहे, केंद्र में पर्यटन सचिव रहे। पवार की छवि सबको साथ लेकर चलने वाले और डाउन टू अर्थ अफसर की रही है।  पवार पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञ है।, अमेरिका से उन्होंने पर्यटन में पीएचडी भी की है। आरपीएससी की गिरी हुई साख को फिर से बहाल करना और भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

इधर,जस्टिस जीतेन्द्र राय गोयल ओबीसी आयोग के अध्यक्ष नियुक्त
राज्य सरकार ने ओबीसी आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की निुयक्ति कर दी है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जीतेंद्र राय गोयल को राज्य ओबीसी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सीताराम शर्मा और अर्जुन सिंह भाटी को आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। हरिकुमार गोदारा आयोग के सदस्य सचिव होंगे। राज्य सरकार ने अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं।


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