क्रिया
(Verb)
क्रिया का शाब्दिक अर्थ है- कार्य । जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाए ,उसे क्रिया कहते है।
जैसे - खाना ,नाचना ,खेलना,पढ़ना ,मारना आदि।
क्रिया का निर्माण ,इसके मूल धातु से होता है। धातु में 'ना' लगा देने से क्रिया बन जाती है। जैसे -'लिख' धातु में 'ना' लगा देने से 'लिखना
क्रिया' बनी । हिन्दी व्याकरण में कुछ ऐसी भी
क्रियाएँ होती है, जो धातुओं के साथ -साथ संज्ञा एवं
विशेषण के सहयोग से भी बनती है। जैसे -काम संज्ञा से कमाना ,गर्म विशेषण से गर्माना आदि।
क्रिया के तीन भेद माने जाते है :-
1.अकर्मक 2.सकर्मक 3.द्विकर्मक
1.अकर्मक क्रिया :- अकर्मक क्रिया का शाब्दिक अर्थ होता है -कर्म रहित। ऐसी क्रियाएँ जिनमे कर्म नही होता ,जो क्रियाएँ बिना कर्म के पूर्ण हो
जाती है,उसे अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे -वह चढ़ता
है। वे हँसते है। नीता खा रही है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में कोई कर्म नही है,केवल
कर्ता और क्रिया है।
नोट-जिस क्रिया में क्या ? प्रश्न पूछने पर उत्तर नही मिलता ,वह
अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे -ऊपर के वाक्य में क्या हँसते है ? प्रश्न
पूछने पर कुछ भी उत्तर नही मिलता ।
2.सकर्मक क्रिया :- सकर्मक क्रिया का शाब्दिक अर्थ है- कर्म सहित ।
जिस क्रिया में कर्म होता है,कर्ता के साथ कर्म भी जुड़ा होता है, उसे
सकर्मक क्रिया कहते है। इसमे क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है। जैसे
-मै पुस्तक पढता हूँ। राम भोजन खाता है। इन वाक्यों में पुस्तक एवं भोजन
कर्म है। इनके बिना क्रिया पूर्ण नही होती।
नोट - जब क्रिया में क्या ,किसे ,किसको का प्रश्न करने पर उत्तर मिल जाता है,उसे
सकर्मक क्रिया कहते है। जैसे -ऊपर के वाक्य में राम क्या खाता है ? उत्तर
-भोजन । अतः यह सकर्मक क्रिया है।
3.द्विकर्मक क्रिया :- जिस वाक्य में क्रिया के दो कर्म पाये जाते है,उसे
द्विकर्मक क्रिया कहते है। जैसे -राम ने श्याम को पुस्तक दी। इस
वाक्य में राम और श्याम दो कर्म है। कभी -कभी प्रयोग के आधार पर एक ही
वाक्य में अकर्मक और सकर्मक क्रियाएँ प्रयुक्त हो जाती है। जैसे -घबराना
क्रिया । सकर्मक -उसने मुझे घबराया । अकर्मक - मै घबराया हूँ।
अकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का असर कर्ता पर ही पड़ता
है वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। ऐसी अकर्मक क्रियाओं
को कर्म की आवश्यकता नहीं होती। अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण हैं-
1.
राकेश रोता है। 2 साँप रेंगता है। 3 बस चलती है।
कुछ अकर्मक क्रियाएँ
- लजाना,
होना, बढ़ना, सोना, खेलना,अकड़ना,डरना,बैठना, मरना,
- हँसना,
उगना, जीना, दौड़ना, रोना, ठहरना, चमकना, डोलना,
- घटना,
फाँदना, जागना, बरसना, उछलना, कूदना
आदि।
सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का असर कर्ता पर नहीं कर्म
पर पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का
होना आवश्यक होता हैं, उदाहरण -
1.
मैं लेख लिखता
हूँ।
2.
सुरेश मिठाई
खाता है।
3.
मीरा फल लाती
है।
4.
भँवरा फूलों का
रस पीता है।
द्विकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
1.
मैंने राम को
पुस्तक दी।
2.
श्याम ने राधा
को रुपये दिए।
- ऊपर के वाक्यों में ‘देना’ क्रिया
के दो कर्म हैं। अतः देना द्विकर्मक क्रिया हैं।
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद
- प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित
भेद हैं
संयुक्त क्रिया Hint .......+...........
.....उड़...+..गया......
.....पढ़..+...चुका.....
.....खा...+...गया.....
.....ला....+....चुका....
जहाँ दो अथवा अधिक क्रियाओं का
साथ-साथ प्रयोग किया जाता है, वे संयुक्त
क्रिया कहलाती हैं। जैसे-
1.मीरा महाभारत पढ़ने लगी।
2.वह खा चुका।
3.बालक चल गया
4.गधा चल बसा
5.अभिषेक उठ बैठा
|
पूर्वकालिक क्रिया Hint .......कर..........
किसी क्रिया से पूर्व यदि कोई दूसरी
क्रिया प्रयुक्त होती है तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
जैसे- मैं अभी सोकर उठा हूँ।
इसमें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्व ‘सोकर’ क्रिया
का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकर’
पूर्वकालिक क्रिया है।
विशेष- पूर्वकालिक क्रिया या तो क्रिया के
सामान्य रूप में प्रयुक्त होती है
अथवा धातु के अंत में ‘कर’ अथवा ‘करके’ लगा
देने से पूर्वकालिक
क्रिया बन जाती है। जैसे-
1.राकेश दूध पीते ही सो गया।
2.लड़कियाँ पुस्तकें पढ़कर जाएँगी।
3.बालक चलकर गया
4.मैं खाना खाकर आया
5.अभिषेक उठकर गया
|
प्रेरणार्थक क्रिया Hint ..वाता / वाती..
जिस क्रिया से ज्ञान हो कि कर्ता
स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को कार्य
करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं के दो कर्ता होते हैं-
1 प्रेरक कर्ता - प्रेरणा प्रदान
करने वाला।
2 प्रेरित कर्ता - प्रेरणा लेने
वाला।
जैसे -
श्याम राधा से पत्र लिखवाता है।
इसमें वास्तव में पत्र तो राधा लिखती है, किन्तु उसको लिखने की प्रेरणा श्याम
देता है। अतः ‘लिखवाना’ क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया है। इस
वाक्य में श्याम प्रेरक कर्ता है और राधा प्रेरित
कर्ता।
|
सामान्य क्रिया
जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग किया
जाता है वहाँ सामान्य क्रिया होती है। जैसे-
1.
आप आए।
2.
वह नहाया आदि।
नाम धातु क्रिया
संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों से बने क्रियापद को नामधातु
क्रिया कहते हैं। जैसे - हथियाना, शरमाना, अपनाना, लजाना, झुठलाना आदि।
·
वे आपस में बतियाते
है
·
वह मेरी सम्पति हथियाता
है
अपूर्ण क्रिया
कई बार वाक्य में क्रिया के होते हुए भी
उसका अर्थ स्पष्ट नहीं होता, ऐसी क्रियाएँ अपूर्ण
क्रिया कहलाती हैं। जैसे -
1.
महात्मा गाँधी थे।
2.
तुम हो। ये
क्रियाएँ अपूर्ण क्रियाएँ है।
- इन्हीं वाक्यों को इस प्रकार पूर्ण किया
जा सकता है-
1.
महात्मा गांधी
राष्ट्रपिता थे।
2.
तुम बुद्धिमान
हो।
- इन वाक्यों में क्रमशः ‘राष्ट्रपिता’ और
‘बुद्धिमान’ शब्दों के प्रयोग से स्पष्टता आ
गई। ये सभी शब्द ‘पूरक’
हैं।
- अपूर्ण क्रिया के अर्थ को पूरा करने के
लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें पूरक कहते हैं।
NOW EXAMINE
YOURSELF
Q”.संजय बहुत देर से टहल रहा है” में कौन सी
क्रिया है
1. सकर्मक 2. अकर्मक
3. प्रेरणार्थक 4. संयुक्त (पटवार 2011- जयपुर)
Q कौन सा क्रम सही नहीं है
1). मुकेश खाना पकवाता है – प्रेरणार्थक क्रिया
2). घोडा
सड़क पर खड़ा है – अकर्मक क्रिया
3). पुलिस ने चोर को पकडवाया – अकर्मक क्रिया
4). माधुरी
पुस्तक पड़ती है – सकर्मक क्रिया
Q.किस क्रम में अकर्मक क्रिया नहीं है
1. मै आपका नाम जनता हूँ 2. हरी फ़ुटबाल खेलता है
3. घोडा दौड़ रहा है 4. बदल घिर रहे है (पटवार 2011- टोंक)
Q.”लोग रामायण पड़ते है “ में कौन सी क्रिया है
1. सकर्मक 2. अकर्मक
3. प्रेरणार्थक 4. संयुक्त (पटवार 2011- टोंक)
Q.किस क्रम में प्रेरणार्थक क्रिया है
1). रमा ने राधा से पत्र लिखवाया
2). युवक टहल रहा है
3). राम ने अमरुद ख़रीदे
4). सलमान
रोज़े रखता है (पटवार
2011- जौधपुर)
Q.किस क्रम में अकर्मक क्रिया नहीं है
1). युवक टहल रहा है 2). रमेश ने मुझे पत्र लिखा
3). हरदेव सोता है 4). शेखर कार में चलता है (पटवार 2011- सीकर)
Q.कमला ने शांति को पुस्तक दी में कौन सी
क्रिया है
1). अकर्मक 2). एक कर्मक क्रिया
3). द्वीकर्मक क्रिया 4). संयुक्त क्रिया (पटवार 2011- सीकर)
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